“मेरा बच्चा अभी नर्सरी में है, क्या उसका PEN बनवाना ज़रूरी है?”
“PEN से कहीं बच्चों का डेटा लीक तो नहीं होगा?”
“APAAR ID और PEN में क्या फर्क है?”
अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल उठ रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है! भारत सरकार द्वारा शुरू की गई परमानेंट एजुकेशन नंबर (Permanent Education Number – PEN) योजना को लेकर अभिभावकों में कई तरह के सवाल और भ्रम हैं। इस लेख में हम आपको PEN से जुड़े हर पहलू को विस्तार से समझाएंगे, ताकि आप सही निर्णय ले सकें।
परमानेंट एजुकेशन नंबर (PEN) क्या है?

PEN एक 12-अंकों का यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है, जो हर छात्र को उसके शैक्षिक जीवन की शुरुआत में दिया जाता है। यह नंबर छात्र के स्कूल से लेकर कॉलेज तक के सभी शैक्षिक रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से जोड़ता है। इसे “शिक्षा का आधार नंबर” भी कहा जा सकता है, क्योंकि यह छात्र के पूरे शैक्षिक इतिहास को एक ही प्लेटफॉर्म पर ट्रैक करता है।
PEN के मुख्य उद्देश्य:
- नकली डिग्रियों पर रोक
- छात्रों के डेटा का केंद्रीकृत प्रबंधन
- स्कूल बदलने पर आसान ट्रांसफर प्रक्रिया
- शिक्षा नीतियों के विश्लेषण में मदद
PEN क्यों ज़रूरी है? अभिभावकों के लिए 5 प्रमुख कारण
- सभी शैक्षिक रिकॉर्ड एक जगह: PEN के ज़रिए बच्चे की मार्कशीट, सर्टिफिकेट, और छात्रवृत्ति का डेटा डिजिटल रूप से उपलब्ध होगा।
- स्कूल ट्रांसफर में आसानी: अगर बच्चे का स्कूल बदलना पड़े, तो नए स्कूल को PEN के माध्यम से पुराने रिकॉर्ड तुरंत मिल जाएंगे।
- फर्जीवाड़े पर रोक: PEN से यह पता लगाना आसान होगा कि कोई डिग्री या सर्टिफिकेट असली है या नकली।
- सरकारी योजनाओं का लाभ: मिड-डे मील, छात्रवृत्ति, या अन्य सुविधाएँ PEN के बिना नहीं मिलेंगी।
- भविष्य के लिए तैयारी: उच्च शिक्षा या नौकरी के आवेदन में PEN से डेटा जल्दी शेयर किया जा सकेगा।
PEN बनवाना कम्पलसरी है या ऑप्शनल?
हाँ, PEN अब अनिवार्य है! 2024-25 के शैक्षिक सत्र से सभी नए छात्रों के लिए PEN बनवाना ज़रूरी हो गया है। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के लिए यह नंबर अनिवार्य किया गया है। पुराने छात्रों के लिए भी धीरे-धीरे इसे लागू किया जा रहा है।
APAAR ID और PEN में क्या अंतर है?

कुछ लोग APAAR ID और PEN को एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है:
- APAAR ID: यह एक प्रस्तावित योजना है, जो छात्रों के एकेडमिक और को-करिकुलर एक्टिविटीज को ट्रैक करेगी।
- PEN: यह विशुद्ध रूप से शैक्षिक रिकॉर्ड (जैसे मार्कशीट, सर्टिफिकेट) से जुड़ा है और पहले से लागू है।
PEN कैसे प्राप्त करें? 4 आसान स्टेप्स
- स्कूल से संपर्क करें: नए एडमिशन के समय स्कूल स्वयं PEN जनरेट करता है।
- UDISE+ पोर्टल: शिक्षा विभाग के इस पोर्टल (https://udiseplus.gov.in) पर छात्र का डेटा दर्ज किया जाता है, जिससे PEN ऑटो-जनरेट होता है।
- राज्य शिक्षा पोर्टल: उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अलग पोर्टल (जैसे UP एजुकेशन डैशबोर्ड) के ज़रिए PEN प्राप्त किया जा सकता है।
- दस्तावेज़ों में देखें: पुराने छात्रों को अपनी मार्कशीट या एडमिट कार्ड पर PEN मिल सकता है।
क्या PEN से बच्चों की प्राइवेसी को खतरा है?
इस सवाल ने कई अभिभावकों को चिंतित किया है। आइए समझते हैं:
- डेटा सुरक्षा: PEN से जुड़ा डेटा डिजिलॉकर और यूडीआईएसई+ जैसे सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर स्टोर किया जाता है, जो भारत सरकार द्वारा प्रमाणित हैं।
- एन्क्रिप्शन: सभी जानकारी एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में रखी जाती है, जिसे हैक करना मुश्किल है।
- सीमित एक्सेस: केवल अधिकृत स्कूल अधिकारी और शिक्षा विभाग ही इस डेटा को एक्सेस कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):
1. क्या PEN के बिना बच्चे का एडमिशन नहीं होगा?
हाँ, 2024-25 से सभी नए एडमिशन के लिए PEN अनिवार्य है।
2. PEN नंबर कहाँ मिलेगा?
यह नंबर स्कूल द्वारा प्रदान किया जाएगा और डिजिलॉकर पर भी उपलब्ध होगा।
3. क्या PEN आधार नंबर की तरह है?
नहीं, PEN शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया जाता है और यह केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है।
4. अगर बच्चा स्कूल बदलता है, तो क्या PEN बदलेगा?
नहीं, PEN जीवनभर एक ही रहेगा, चाहे बच्चा कितनी बार स्कूल बदले।
5. PEN का डेटा कितने साल तक स्टोर रहेगा?
छात्र के रिटायरमेंट या शिक्षा पूरी होने तक डेटा सुरक्षित रखा जाएगा।
निष्कर्ष: PEN भविष्य की शिक्षा प्रणाली की नींव
PEN सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि बच्चों के शैक्षिक भविष्य को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अभिभावकों को चाहिए कि वे स्कूल प्रशासन के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को पूरा करें और बच्चों का डेटा अपडेट रखें। याद रखें, PEN आपके बच्चे की शिक्षा का “डिजिटल पासपोर्ट” है, जो हर स्टेज पर उसकी मदद करेगा!
स्रोत: उपरोक्त जानकारी भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, UDISE+ पोर्टल, और विश्वसनीय समाचार रिपोर्ट्स पर आधारित है